एक लंबे अंतराल के बाद मैने हिंदी में उपन्यास पढ़ा है। इस कहानी की किताब का शीर्षक है सुपरस्टार की मौत। शीर्षक को पढ़ते ही जो पहला चेहरा मेरे दिमाग में आया वो था स्वर्गवासि सुशांत सिंह राजपूत। कहानी का इस कलाकार के साथ कोई लेना देना नही हैं पर सुशांत सिंह कि अकस्मात् मृत्यु ने पूरे देश को शौक और सदमे में डाल दिया। तो उसका नाम जहेन् में आना कोई आश्चर्य की बात नही।
खैर मैं बात कर रही थी इस किताब की सुपरस्टार की मौत। इसको लिखा है लेखक रामकुमार सिंह ने। ये कहानी है बॉलीवुड की बाहरी चमक धमक के पीछे छुपे काली अंधियारे की जो कई मासूमो को निगल जाता है।
बॉलीवुड में अपने पैर जमाने के लिए संघर्षशील और निरंतर प्रयत्नशील युवाओं अपने मन में कामयाब होने के सपने संजोये रखते है। अपने सपनों को पुरा करने के लिए क्या क्या नही करते। कितने धके खाते है, सिफ़ारिशें करते है, समझौता करते है। कुछ की निकल पड़ती है, कुछ हताश हो कर लौट जाते है और कुछ संघर्ष करते रहते है पर शोषण के आगे झुकते नही है।
सुपरस्टार की मौत कहानी है ऐसे ही एक लड़का और लड़की की जो सफल बनाना चाहते है पर अपने जमीर को बेच कर नही। ये कहानी है शिखर पर पहुँचे शिकारी और खुद को उस शिकारी से बचाने की कोशिश में जुझारू।
ये एक डार्क कहानी है। बॉलीवुड की सच्चाई को दर्शाता है। मीडिया के खेल, पेज 3 पार्टी की रंगत, ड्रग्स, कास्टिंग काउच, काम देने के बहाने शोषण, नए लोगों का संघर्ष। ये सब एक प्रकट रहस्य के जैसे है जिसका पता शायद सबको है पर खुलकर कोई स्वीकार नहीं करेगा।
लेखनी उच्च कोटि की है। अपनी बात को लेखक ने बहुत सजा कर कहा है। रूपक, रूपांतर, और अन्योक्ति का प्रयोग अनेक जगओ पर किया गया है। इनके द्वारा पात्रों की मनोदशा का सठिक वर्णन किया है। लेखक मुंबई दर्शन भी कराते है साथ में सुप्रसिद्ध मुंबई स्पिरिट से रूबरू होते है।
कुल मिलकर उपन्यास पढ़ कर मजा आया। ये डार्क होने के साथ रोमांचक भी है। अंत में जब राज खुलता है तो ऐसा लगता है कि सफलता को बरकार रखने केलिए भी कितने पेन्तरे करने पड़ते है।